रायगढ़। खेतों में धान कटाई का सीजन हर वर्ष खुशहाली लेकर आता है, लेकिन चारमार गाँव में शनिवार दोपहर घटी घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। महज कुछ मिनटों की लापरवाही ने एक परिवार की उम्मीद, एक मासूम की माँ और गांव की मेहनतकश महिला सुनंदा गुप्ता की जिंदगी छीन ली।

घरघोड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम चारमार निवासी 45 वर्षीय सुनंदा गुप्ता अपने खेत में धान की कटाई करा रही थी। हार्वेस्टर खेत के एक छोर पर काम कर रहा था, जबकि सुनंदा दूसरे छोर पर बचे हुए धान को हाथों से काटकर मशीन में डाल रही थी—ताकि एक भी बाल नष्ट न हो। इसी दौरान वह हादसा हुआ, जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी।
तेज गति से बैक हुए हार्वेस्टर ने छीनी जान
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हार्वेस्टर चालक ने बिना सावधानी वाहन को तेज गति से पीछे की ओर दौड़ा दिया। सुनंदा गुप्ता को संभलने का मौका तक नहीं मिला—कुछ ही सेकंड में वह वाहन के नीचे आ गई। कमर और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर अंदरूनी चोटें आने से वह वहीं तड़प उठी।
परिजन तुरंत उसे रायगढ़ के बालाजी मेट्रो अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने हालात गंभीर बताते हुए उन्हें जिंदल अस्पताल रेफर किया, जहाँ प्राथमिक जांच में ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। रविवार को कोतरारोड़ पुलिस ने मर्ग कायम कर शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया।
मासूम के सिर से उठ गया साया—घर में पसरा सन्नाटा
सबसे मार्मिक पहलू यह है कि सुनंदा गुप्ता का पति सफेद गुप्ता का निधन एक वर्ष पहले ही हो चुका था। तब से सुनंदा अपनी 8 साल की बेटी का अकेले पालन-पोषण कर रही थी। लेकिन इस हादसे ने बच्ची के सिर से उसकी माँ का साया भी छीन लिया।
रिश्तेदारों और ग्रामीणों के बीच अब इस बात पर चर्चा है कि बच्ची का भविष्य कौन संभालेगा। परिवार के नैनिहाल पक्ष द्वारा उसकी देखभाल की जिम्मेदारी उठाने की बात सामने आ रही है, लेकिन मासूम के जीवन में जो शून्य पैदा हुआ है—वह किसी से भरा नहीं जा सकेगा।
लापरवाही पर सवाल, सुरक्षा को लेकर उठ रही मांगें
गाँव के लोगों ने हार्वेस्टर चालक की लापरवाही पर कड़ा रोष जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि कटाई के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन न होना और तेज गति से वाहन चलाना ऐसे हादसों को जन्म देता है। प्रशासन और कृषि विभाग से इस प्रकार की मशीनों के संचालन पर सख्त निगरानी की मांग उठने लगी है।
कृषि सीजन में सुरक्षा पर फिर खड़े हुए सवाल
धान कटाई के मौसम में हर साल देशभर में ऐसे हादसों की संख्या बढ़ती है। चारमार की यह घटना एक बार फिर बता रही है कि खेतों में मशीनों के बढ़ते उपयोग के साथ सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध जरूरी हैं—वरना मेहनतकश परिवारों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
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