विशेष संवाददाता – करन कुमार एक्का की रिपोर्ट
लैलूंगा/14 दिन से लापता पूर्व विधायक चक्रधर सिंह के भाई जयपाल सिंह – लैलूंगा में प्रशासनिक नाकामी पर कांग्रेस का हल्ला बोल, पुलिस को दिया अंतिम अल्टीमेटम, आंदोलन की दी चेतावनी
जयपाल सिंह को लेकर यदि प्रशासन की आंखें नहीं खुलीं तो कांग्रेस जनांदोलन के रूप में उन्हें जगाने मजबूर होगी।
⚠️ “एक सप्ताह में कार्यवाही नहीं, तो जन आंदोलन तय” – कांग्रेस की सीधी चेतावनी
ज्ञापन में दिए गए बिंदुओं में यह साफ तौर पर उल्लेख किया गया कि यदि प्रशासन ने इस गुमशुदगी के मामले को गंभीरता से नहीं लिया, तो ब्लॉक कांग्रेस कमेटी लैलूंगा बड़े आंदोलन की शुरुआत करेगी। इस आंदोलन में कांग्रेस कार्यकर्ता, जयपाल सिंह के परिजन और लैलूंगा की आम जनता संयुक्त रूप से हिस्सा लेंगे।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि “हम यह मांग करते हैं कि जयपाल सिंह की तलाश के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया जाए, जिसमें पारदर्शिता हो और दैनिक प्रगति रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। यदि प्रशासन अपनी आंखें बंद करके बैठा रहा तो लैलूंगा की सड़कों पर जनसैलाब उतरेगा और इसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व प्रशासन पर होगा।”
📢 क्या पुलिस कर रही है लीपापोती? जनता में बढ़ रहा अविश्वास
स्थानीय निवासियों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में यह धारणा बन रही है कि पुलिस प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेने की बजाय औपचारिकता निभा रहा है। अब तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं, कोई खुलासा नहीं, न ही परिवार को दी गई कोई नियमित सूचना। इससे स्पष्ट है कि पुलिस इस संवेदनशील मुद्दे पर लापरवाही बरत रही है।
जयपाल सिंह जैसे वरिष्ठ नेता के भाई के मामले में यदि इतनी उदासीनता है, तो आम जनता के साथ न्याय की क्या उम्मीद की जा सकती है – यह सवाल अब हर नागरिक की जुबान पर है।
🧑⚖️ प्रशासन को जगाने की आखिरी कोशिश – नहीं तो सड़क ही न्याय का मंच बनेगी
लैलूंगा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब शब्दों से काम नहीं चलेगा। यदि प्रशासन आंख मूंदे बैठा रहा, तो संघर्ष की अग्नि सुलगाई जाएगी। आने वाले सप्ताह में कांग्रेस द्वारा चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है जिसमें धरना, रैली, जिला मुख्यालय तक पैदल मार्च, और जनसुनवाई जैसे कदम शामिल होंगे।
📌 क्या बोले परिजन? – “हमें सिर्फ हमारा जयपाल चाहिए”
जयपाल सिंह के परिजन अब पूरी तरह टूट चुके हैं। एक ओर उन्हें अपने लापता परिजन की चिंता है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की बेरुखी ने उनके घावों को और गहरा कर दिया है। परिवार का कहना है कि “हम कोई राजनीति नहीं करते, हमें सिर्फ हमारा जयपाल चाहिए। पर प्रशासन ने हमारी पीड़ा को नज़रअंदाज़ किया है।”
🧭 क्या होगा आगे? – लैलूंगा की निगाहें प्रशासन पर टिकी
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि अब लैलूंगा की जनता, कांग्रेस कार्यकर्ता और जयपाल सिंह का परिवार एकजुट होकर संघर्ष की राह पर चलने को तैयार हैं। प्रशासन के पास अब सिर्फ 7 दिन हैं – या तो ठोस कार्यवाही करे या फिर जन आंदोलन का सामना करने को तैयार रहे।
लैलूंगा में यह मामला अब सिर्फ एक गुमशुदगी नहीं, बल्कि जनता के सुरक्षा अधिकार, प्रशासनिक जवाबदेही, और संवेदनशीलता की अग्निपरीक्षा बन चुका है।
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