लैलूंगा- जहां पूरा प्रदेश नवा खाई के पर्व की खुशियों में डूबा हुआ था, वहीं लैलूंगा तहसील कार्यालय के सामने न्याय की भूख से तड़पते हुए नरेश गुप्ता पिता मंगलू गुप्ता आमरण अनशन पर बैठ गए। त्योहार की रौनक के बीच न्याय की लड़ाई ने पूरे इलाके का माहौल गर्मा दिया।

नरेश गुप्ता ने गंभीर शिकायतों पर कार्यवाही न होने के चलते प्रशासन को कई बार अवगत कराया था। जब सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने 28 अगस्त की दोपहर 3 बजे तहसील कार्यालय के सामने आमरण अनशन शुरू कर दिया। यह खबर जंगल में आग की तरह फैली और देखते ही देखते तहसील कार्यालय के बाहर भीड़ जुट गई। जनता का कहना था कि जब न्याय के लिए आम आदमी को त्योहार के दिन भी भूखे बैठना पड़े, तो यह लोकतंत्र की असली विडंबना है।
लगातार बढ़ते आक्रोश और दबाव के बीच आखिरकार प्रशासन हरकत में आया। अनुविभागीय अधिकारी (SDO) ने लिखित आश्वासन दिया कि 3 सितंबर तक मामले की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। आश्वासन मिलते ही नरेश गुप्ता ने अपना आमरण अनशन समाप्त किया।
लोगों का कहना है कि यह सिर्फ नरेश गुप्ता की जीत नहीं, बल्कि लैलूंगा की जनता की ताकत का प्रमाण है। सवाल अब भी बड़ा है – क्या वाकई दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह मामला भी केवल कागजों में दबकर रह जाएगा?
नरेश गुप्ता का यह संघर्ष लैलूंगा में न्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ नई चेतना जगाने वाला साबित हुआ है।
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