लैलूंगा थाना में फिर मचा बवाल : प्रधान आरक्षक विक्रम चौरसिया बेच क्रमांक 537 पर ₹1 लाख रिश्वत मांगने का आरोप, जिला उपाध्यक्ष दीपक सिदार ने किया खुलासा

लैलूंगा। थाना लैलूंगा इन दिनों लगातार विवादों और भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से सुर्खियों में है। अभी महज दो दिन पहले ही महिला कांस्टेबल ज्योति यादव का रिश्वत लेते वीडियो वायरल होने के बाद रायगढ़ SP ने तत्काल उसे लाइन अटैच कर दिया था। लेकिन अब एक और चौकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने थाना व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है।
गंभीर आरोप इस बार थाना लैलूंगा के प्रधान आरक्षक विक्रम चौरसिया बेच क्रमांक 537 पर लगे हैं। जिला उपाध्यक्ष दीपक सिदार
साथ में थबिरो यादव, उमेश दादरिवाल,नरेश नायक,प्रांजल कौशिक पूरी टीम स्वयं थाना में शिकायत लेकर पहुंचे और खुलासा किया कि विक्रम चौरसिया ने शराब पकड़कर छोड़ने के एवज में सीधे ₹1 लाख की रिश्वत की मांग कर डाली। इस सनसनीखेज मामले की जानकारी उन्होंने न केवल पुलिस अधिकारियों तक पहुंचाई, बल्कि पत्रकारों को बुलाकर खुलेआम पर्दाफाश भी किया। दीपक सिदार ने बताया कि थाना व्यवस्था अब जनता की सुरक्षा के बजाय खुद जनता को लूटने का अड्डा बन चुकी है। उनके अनुसार, प्रधान आरक्षक खुलेआम शराब कारोबारियों से लेनदेन कर रहे हैं और जब कोई विरोध करता है तो उसे फंसाने की धमकी दी जाती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि लैलूंगा थाना अब अपराध रोकने के बजाय अपराध को बढ़ावा देने में भूमिका निभा रहा है।
इस पूरे मामले की शिकायत रायगढ़ के SP साहब से की गई है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जिला पुलिस प्रशासन इस पर कितना गंभीर कदम उठाता है। क्योंकि दो दिन पहले ही महिला कांस्टेबल पर कार्यवाही कर प्रशासन ने त्वरित एक्शन का संदेश दिया था। जनता उम्मीद कर रही है कि इस मामले में भी उतनी ही तत्परता दिखाई जाएगी।
ग्रामीणों का कहना है कि लगातार ऐसे मामलों ने थाना की साख को पूरी तरह दागदार बना दिया है। पहले महिला कांस्टेबल का वीडियो और अब प्रधान आरक्षक पर रिश्वतखोरी के आरोप ने साफ कर दिया है कि थाना व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्षेत्र में बड़ा जनआक्रोश देखने को मिल सकता है।
कुल मिलाकर, लैलूंगा थाना में एक बार फिर भ्रष्टाचार का बम फटा है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन केवल लाइन अटैच की औपचारिक कार्यवाही करेगा या फिर जनता का विश्वास लौटाने के लिए कठोर कदम उठाएगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रायगढ़ पुलिस इस नए बवाल को कैसे संभालती है।
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