रायगढ़।रायगढ़ जिले के कई ग्रामीण इलाकों में जंगली सूअर मारने के लिए बिछाए गए करंट जाल अब हाथी, इंसान और अनगिनत वन्य जीवों की मौत का कारण बनते जा रहे हैं। क्षेत्र में विद्युत प्रवाहित तारों का इस्तेमाल कर अवैध रूप से शिकार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन वन विभाग और प्रशासन अब तक खामोश नजर आ रहे हैं।

करंट जाल बना मौत का जाल
ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों को बचाने और जंगली सूअर पकड़ने के नाम पर किसानों और शिकारियों द्वारा करंट युक्त तार बिछाए जा रहे हैं, जो अनजाने में हाथियों, हिरणों, सुअरों, सियारों और यहां तक कि इंसानों के लिए भी मौत का जाल साबित हो रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में कई हाथियों की करंट लगने से मौत के मामले सामने आ चुके हैं।
वन विभाग पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग को इन घटनाओं की जानकारी होते हुए भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। विभागीय अधिकारी मौके पर पहुंचकर केवल औपचारिक जांच और रिपोर्ट तैयार करने तक सीमित हैं। सवाल यह उठता है कि जब बार-बार करंट से मौतें हो रही हैं, तो आखिर जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की जा रही?
ग्रामीणों की पीड़ा
ग्रामीण बताते हैं कि वे डर के साए में जी रहे हैं। रात के समय खेतों या जंगल के आसपास जाना बेहद खतरनाक हो गया है। “हम नहीं जानते कि कब कहां करंट लगा तार बिछा होगा,” — एक स्थानीय किसान ने कहा।
आखिर जिम्मेदार कौन?
करंट से हो रही मौतों की इस भयावह स्थिति में सबसे बड़ा सवाल यही है —क्या वन विभाग और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं? क्यों नहीं ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जा रही, जो जंगल के जीव-जंतुओं और इंसानों की जान से खेल रहे हैं? अब वक्त है सख्त कदम उठाने का! करंट का जाल रायगढ़ के जंगलों को मौत की घाटी में बदल सकता है।
यह कोई पहली घटना नहीं!
इससे पहले भी रायगढ़ जिले में कई बार जंगली जानवरों और हाथियों की मौत करंट की चपेट में आने से हो चुकी है। कई गांवों में करंट बिछाकर शिकार करने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है। वन विभाग द्वारा पूर्व में हुई घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया गया, जिसके चलते यह खतरनाक चलन थमने का नाम नहीं ले रहा। हर बार जांच और औपचारिकता पूरी कर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है, जिससे अवैध शिकारियों के हौसले और बुलंद होते जा रहे हैं।
वन विभाग की लापरवाही उजागर
रायगढ़ जिले में लगातार हो रही करंट से वन्य जीवों और हाथियों की मौत ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विभाग के अधिकारी केवल कागजी कार्रवाई और औपचारिक जांच तक सीमित दिखाई दे रहे हैं, जबकि जमीन पर निगरानी और रोकथाम के ठोस प्रयास नदारद हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि शिकारी और कुछ किसान खुलेआम करंट बिछा रहे हैं, लेकिन वन अमला न तो गश्त बढ़ा रहा है, न ही किसी तरह की सख्त कार्रवाई कर रहा है। यह स्पष्ट रूप से विभागीय लापरवाही और जिम्मेदारी से बचने का मामला है।
रायगढ़ जिले में करंट की चपेट में हाथियों की मौत
पिछले 4 साल में रायगढ़ जिले में लगभग 50 हाथियों की मौत करंट की चपेट में आने से हुई है। जंगली सूअर और अन्य शिकार के लिए बिछाए गए अवैध विद्युत तार हाथियों और अन्य वन्य जीवों के लिए मौत का कारण बन गए हैं। यह गंभीर स्थिति वन विभाग की लापरवाही और निगरानी की कमी को उजागर करती है, क्योंकि बार‑बार होने वाले हादसों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई या रोकथाम के उपाय नहीं किए जा रहे हैं।
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