धरमजयगढ़/ अडानी ग्रुप की प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान परियोजना को लेकर इलाके में तनाव बढ़ गया है। प्रभावित तीन पंचायतों — पुरुंगा, साम्हरसिंघा और तेंदूमुड़ी — के ग्रामीण अब खुलकर विरोध में उतर आए हैं।

“खदान से सिर्फ नुकसान होगा” — ग्रामीणों की एकजुट आवाज़
ग्रामीणों का कहना है कि चाहे खदान भूमिगत हो या ओपनकास्ट, दोनों ही स्थितियों में पर्यावरण को भारी नुकसान होगा। खेतों की उपजाऊ मिट्टी, जंगलों का अस्तित्व और जल स्रोतों की शुद्धता — इन सब पर खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना से जुड़ी जानकारी उन्हें पारदर्शी तरीके से नहीं दी गई है।
11 नवंबर की जनसुनवाई पर छाया विवाद
परियोजना प्रक्रिया के तहत 11 नवंबर को जनसुनवाई निर्धारित की गई है। लेकिन ग्रामीण इसे “औपचारिकता” बताते हुए रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि परियोजना पर पहले पर्यावरणीय असर का सही मूल्यांकन किया जाए।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का भी समर्थन
स्थानीय सामाजिक संगठनों और पर्यावरण के प्रति सक्रिय कार्यकर्ताओं ने भी ग्रामीणों की चिंताओं को जायज़ ठहराया है। उन्होंने प्रशासन से जनसुनवाई स्थगित कर विस्तृत अध्ययन की मांग की है।
प्रशासन की तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
वहीं प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि जनसुनवाई अपने तय कार्यक्रम के अनुसार 11 नवंबर को आयोजित की जाएगी। हालांकि संभावित विरोध को देखते हुए पुलिस और जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।
अब टकटकी ग्रामीणों की निगाहें — 11 नवंबर पर
विरोध और जनसुनवाई के बीच अब पूरा इलाका आंदोलन की तैयारी में जुट गया है। सवाल यह है — क्या ग्रामीणों की आवाज़ खदान की दिशा मोड़ेगी, या परियोजना अपने तय रास्ते पर आगे बढ़ेगी?
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